मत्स्य पालन, पशुपालन, एवं डेयरी मंत्रालय ,भारत सरकार के राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, कौशल्या गंगा, भुवनेश्वर, उडीसा के वैज्ञानिकों के द्वारा बिहार के लालगंज सहित विभिन्न प्रखंडों के किसानों को मत्स्य पालन एवं मोती पालन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। जागृति कला केन्द्र के सहयोग से ममता महिला किसान क्लब के 30 सदस्यों को पाॅच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिलाई गई। मुख्य रूप से मछली जीरा उत्पादन, मत्स्य पालन, रंगीन मछली पालन और मोती पालन के बारे में बताया गया।

मत्स्य स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में सीफा के वैज्ञानिक डॉ सत्य नारायण साहू, जैविक जल कृषि के बारे में डॉ एस एन सेठी, जीरा उत्पादन के बारे में वैज्ञानिक स्मृति रेखा एवं प्रज्ञा कुमारी, तालाब निर्माण के बारे में शिव शंकर सिंह , उप निदेशक , आहार प्रबंधन के बारे में डॉ बी के चॉद, डीन, पशु एवं मत्स्य विश्व विद्यालय, पश्चिम बंगाल, ज्ञान रंजन सांमल, जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी, भुवनेश्वर, सौम्य रंजन सहित सीफा के वैज्ञानिक डाॅ राजेश कुमार, डॉ चन्दन कुमार आदि ने प्रशिक्षण दिया।

केन्द्रीय मीठा जल जीव-पालन अनुसंधान संस्थान ( CIFA) के निदेशक डाॅ पी के साहू , एवं वैज्ञानिकों के द्वारा जागृति कला केन्द्र के सचिव डाॅ अभय नाथ सिंह को सम्मानित किया गया। निदेशक ने कहा कि बिहार में मत्स्य पालन एवं जीरा उत्पादन और मोती पालन की काफी सम्भावनाये है। प्रशिक्षित किसान इस कार्य से काफी लाभान्वित होंगे। जागृति कला केन्द्र के सचिव, सह, बी पी एस कॉलेज, देसरी के सहायक प्राध्यापक डाॅ अभय नाथ सिंह ने मुख्य वक्ता के रुप में कहा कि इस कार्य के लिए प्रशिक्षण बहुत जरूरी है। तालाब का निर्माण, जल प्रबंधन, मछली का चयन, बिमारी से बचाव, वैज्ञानिक तकनीक से पालन करने से काफी लाभ है। सरकार के द्वारा बीमा, अनुदान आदि की व्यवस्था की गयी है। स्वरोजगार के लिए मत्स्य पालन एक अच्छा व्यवसाय है।
